प्रदेश में पिछले कई महीनों से जारी स्कूल फीस विवाद के मामले में। अब पंजाब की तर्ज पर। यहां भी स्कूलों की बैलेंस शीट सार्वजनिक करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। पंजाब सरकार ने। अभिभावकों की मांग पर यह निर्णय लिया था कि सभी स्कूल अपनी बैलेंस शीट दिखाएं जिससे कि अभिभावकों को।


 उस स्कूल से संबंधित सभी खर्चों का पता लग सके और इससे फीस के निर्धारण में आसानी हो सके। पंजाब सरकार के इस फैसले का। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने भी। समर्थन किया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार! के पक्ष में फैसला देते हुए कहा। कि इससे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच की दूरियां कम होगी और फीस का निर्धारण भी आसानी से हो सकेगा। अब प्रदेश के अभिभावकों ने भी राज्य सरकार से। ऐसा ही निर्णय लागू करने की मांग रखी है। अभिभावकों का कहना है कि राज्य में फीस अधिनियम 2016 के तहत स्कूलों की बैलेंस शीट स्कूल स्तरीय फीस निर्धारण कमेटी को सौंपने की व्यवस्था की गई है। जिससे कि वह कमेटी हर 3 साल में संबंधित स्कूल की फीस तय कर सके। 



इससे बैलेंस शीट सार्वजनिक तो होती है लेकिन केवल फीस निर्धारण कमेटी के सदस्यों तक ही पहुंचती है। जबकि इस बैलेंस शीट को हर अभिभावक तक पहुंचना चाहिए। क्योंकि कई बार कमेटी के सदस्यों पर स्कूलों से मिलीभगत करने के बाद उनका पक्ष लेने के आरोप भी लगते हैं। वहीं प्रदेश के कई अधिवक्ताओं ने भी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह व्यवस्था प्रदेश में भी लागू होनी चाहिए। आपको बता दें कि यदि प्रदेश में भी ऐसा ही निर्णय लागू हो जाए तो स्कूल प्रबंधन और फीस निर्धारण कमेटी सदस्यों की सांठगांठ होने के आरोपों में कमी आएगी। हर किसी को यह पता लग सकेगा कि स्कूल का वास्तव में कितना खर्चा हो रहा है और वह कितना मुनाफा ले रहा है? दूसरी ओर शिक्षकों को कम मानदेय मिलने की शिकायतों में भी कमी आएगी। स्कूलों के अनावश्यक शुल्क राशि मांगने पर अभिभावक आपत्ति कर सकेंगे।

ब्यूरो रिपोर्ट!