जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। शराब की दुकाने बंद फिर भी सरकार को मिल रहा राजस्व ! राज्य सरकार की शराब की दुकानों के प्रति बेरुखी से नाराज़ शराब कारोबारियों ने पिछले चार दिनों से पूरे प्रदेश में शराब की दुकाने बंद कर रखी है। हालांकि आज गुरूवार को प्रदेश में कई जगह शराब के ठेके सरकार द्वारा नियत समय में अल सुबह से शराब बेचते दिखाई पड़े। ध्यान दीजियेगा दिखाई पड़े। मतलब इससे पहले दिखाई नहीं पड़ रहे थे पर शराब तो बिक रही थी। अब आप कहेंगे इसमें क्या नया है शराब तो अवैध रूप से प्रदेश में बिकती ही है और यह सभी को पता भी है। नहीं साहब इस बार कहानी दूसरी है। इस बार हाथी के दांत खाने के और, दिखने के और हैं । यानि शराब कारोबारी दिखावे के लिए भले ही राजस्थान लिकर वेलफेयर के बैनर तले एकत्रतित हो गया हो पर हक़ीक़त यह है इस संस्था की बागडोर नीलेश मेवाड़ा के हाथ में है और उन पर पुराने शराब व्यवसायियों को विश्वाश ही नहीं है। इसी की चलते शराब के लाइसेंसी दुकानदारों ने अपनी दुकाने बंद रखने के दौरान भी सरकार की राजस्थान स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड से शराब का उठाव किया। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद सरकार के आंकड़े बता रहे हैं। न्यूनतम गारंटी में छूट की मांग को लेकर जयपुर सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में शराब दुकानें बंद करने का दावा करने वाले शराब कारोबारियों की हड़ताल को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल हड़ताल के चलते इन दिनों में शराब की मांग जीरो होनी चाहिए थी, लेकिन हड़ताल के बावजूद जयपुर शहर के चार डिपो से शराब कारोबारियों ने जमकर शराब की सप्लाई ली है। एक तरफ 'जन अनुशासन पखवाड़े' में दुकानों का समय सुबह 6 से 11 बजे का विरोध और दूसरी तरफ भांकरोटा डिपो से 26 अप्रैल को 502 पेटी, 27 अप्रैल को 765 पेटी अंग्रेजी शराब, भांकरोटा डिपो से 26 अप्रैल को 938 पेटी, 27 अप्रैल को 1612 पेटी बीयर, दुर्गापुरा डिपो से 26 अप्रैल को 26 पेटी, 27 अप्रैल को 114 पेटी अंग्रेजी शराब, दुर्गापुरा डिपो से 26 अप्रैल को 276 पेटी, 27 अप्रैल को 225 पेटी बीयर, सीकर रोड डिपो से 26 अप्रैल को 781 पेटी, 27 अप्रैल को 1288 पेटी अंग्रेजी शराब, सीकर रोड डिपो से 26 अप्रैल को 2039 पेटी, 27 अप्रैल को 2457 पेटी बीयर, जगतपुरा डिपो से 26 अप्रैल को 402 पेटी, 27 अप्रैल को 682 पेटी अंग्रेजी शराब और जगतपुरा डिपो से 26 अप्रैल को 560 पेटी, 27 अप्रैल को 2826 पेटी बीयर। अब यह तो स्पष्ट है कि इन दिनों सरकारी गाइड लाइन के चलते शादी और पार्टियों में तो शराब ना के बराबर चल रही है सो सवाल ये है कि आखिर शराब कारोबारी इतनी शराब किस लिए उठा रहे थे जबकि उनका तो अपनी दुकाने बंद रखने का ऐलान था। यहाँ यह बात साफ़ करना जरुरी है कि शराब ठेकेदारों द्वारा उठाई गई यह मात्रा रूटीन के हिसाब से एक चौथाई ही है लेकिन जब दुकाने ही बंद हैं तो ये मात्रा शून्य होनी चाहिए थी। मतलब या तो जयपुर में शराब की दुकाने चोरी छुपे शराब बेच रही थी जो कि वर्तमान व्यवस्था में पुलिस की जानकारी में आए बगैर रह ही नहीं सकता था सो पुलिस की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। आबकारी विभाग ने पिछले दो दिनों में ऐसे कई मामले पकडे भी थे। अब आपको वो बात बताते हैं जो कुछ शराब वयवसायिओं ने ऑफ द रेकॉर्ड राजकाज से की। इस शराब व्यवसायिओं का कहना था कि चूँकि मामला इंस्डट्री लेवल पर विरोध का था सो सामने कौन बुरा बनता इसीलिए बंद का समर्थन कर दिया लेकिन अंदर से हम सभी को पता था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शराब के मामले में जितनी ढिलाई दे सकते थे दे चुके और उनसे ज्यादा उम्मीद करना खट्टी छाछ से हाथ धोना होता। कुल मिला कर शराब के दुकानदार लड्डू हाथ में रखकर दिखाना भी चाहते थे और खाना भी। मतलब अंत में लड्डू पेट में मिलेगा।