जोधपुर से पूर्णिमा बोहरा की रिपोर्ट। प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर में कोरोना बल्कि इसके मरीजों की सुनामी आई हुई है। संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। नए मरीजों को संभालने में अब अस्पतालों का दम फूल रहा है। शहर में अब कोरोना संक्रमण सिर्फ कम्युनिटी ट्रांसमिशन तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि अब यह हवा में भी फैल गया है। जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ ने स्वीकार किया कि गत वर्ष के कोरोना के मुकाबले इस बार हालात बहुत अधिक खराब है। संक्रमण हवा में फैल चुका है। स्थान के अभाव में नए मरीजों का इलाज करना मुश्किल होता जा रहा है। अब एक ही उपाय है कि लोग अपने घरों से बाहर न निकले। ताकि संक्रमित होने से बच सके। डॉ. राठौड़ ने कहा कि गत वर्ष और इस बार के कोरोना में बहुत अंतर है। वर्तमान में कोरोना वायरस रहस्यमय व दुष्ट हो चुका है। गत वर्ष संक्रमितों को सिर्फ आइसोलेट रखने से ही बीमारी ठीक हो रही थी। ज्यादा दवा की भी आवश्यकता नहीं पड़ रही थी। इस बार सभी संक्रमित गंभीर अवस्था में सामने आ रहे है। प्रत्येक मरीज को ऑक्सीजन और दवाओं की आवश्यकता पड़ रही है। गत वर्ष बुजुर्गों की अधिक संख्या में मौत हो रही थी। साथ ही युवा कम संक्रमित हो रहे थे। लेकिन इस बार हालात पूरी तरह से पलट चुके है। युवा न केवल सबसे अधिक संक्रमित हो रहे है बल्कि उनकी मृत्य दर भी अधिक हो गई। यह चिंताजनक पहलू है। पहले कोरोना ड्रॉपलेट से फैलता था यानि संपर्क में आने से संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंच रहा था। अब यह हवा में फैल गया है। इस कारण मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज करने में हमें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि घर में रहे। जहां तक संभव हो बाहर न निकले। यहीं सबसे बड़ा बचाव है। मास्क हेलमेट के समान आपका बचाव तो कर सकता है, लेकिन पूर्ण रूप से रक्षा कवच नहीं बन सकता। उसमें भी संक्रमित होने की आशंका हमेशा बनी रहती है। अस्पतालों को हालात बहुत विकट हो रखे है। ऐसे में लोगों से आग्रह है कि वे घरों में रह इस संक्रमण फैलने से रोके। ताकि हमारे ऊपर भी दबाव कुछ कम हो सके। डॉ. राठौड़ ने कहा कि संख्या को देखे तो एक दिन में ४२ मौत हो जाना काफी बड़ी संख्या है, लेकिन ओवरऑल मृत्यु दर को देखा जाए तो यह काफी कम है। मेरे पास इस समय 1100 से अधिक मरीज भर्ती है। इसमें से एक दिन में 42 लोगों की मौत हुई।