प्रवीण दत्ता की कलम से। 

पिछले तीन चार दिनों से पूरे प्रेदश में बस यही चर्चा है कि क्या राज्य सरकार प्रदेश में 3 मई को सम्पाप्त हो रहे लॉक डाउन को आगे बढ़ाने वाली है या नहीं? क्या सरकार और सख्त होगी या फिर कुछ रियायतें मिलेगी आम आदमी को ? प्रदेश के एक बड़े अखबार ने अपने मुख पृष्ठ पर लॉक डाउन आगे बढ़ने का अंदेशा जता दिया है।  ऐसे में हमने कुछ आला अधिकारीयों को टटोला और जो बातें सामने आईं वो आपके समक्ष रह रहा हूँ। 

सबसे पहले गौर कीजिये इस बात पर कि प्रदेश का अति सुरक्षित सिविल लाइन्स और मुख्यमंत्री आवास कोरोना की पहुँच में है और CM गहलोत खुद संक्रमित हो गए हैं। यानि सुरक्षा की दिवार जैसी कोई चीज़ तो राज्य में कहीं भी मौजूद होने की कल्पना भी करना बेकार है।  

दूसरे कल एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में वित्त सचिव अखिल अरोड़ा को स्वास्थ्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है।  यानि राज्य की वित्तीय सेहत और नागरिकों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी एक ही व्यक्तो को सौंप दी गई है।  कुछ लोगों का मानना है ऐसा वरिष्ठ और लायक अफसरों की कमी के चलते किया गया लेकिन असल में बात दूसरी है।  दरअसल मुख्यमंत्री निर्णायक मूड में आ चुकें हैं और बिलकुल भी समय बर्बाद नहीं करना चाहते।  इसीलिए उन्हौने तय किया कि जब अखिल अरोड़ा उनके पास कोई कोरोना को रोकने या थामने की योजना लेकर  आएंगे, वे हाथों हाथ उनसे उसके वित्तीय भार के बारे में भी पूछ लेंगे।  उधर वित्त विभाग में गहलोत के विश्वाशपात्र डॉ. पृथ्वीराज फ़ौरन से पेश्तर वित्तीय स्वीकृति देंगे और कोरोना से लड़ते हुए अपना नियमित कार्य कर रहे CM काम समय में महत्वपूर्ण कामों को अमली जामा पहना पाएंगे।  

तीसरे गुरूवार तक के ट्रेंड इस बात की ओर इशारा कर रहें हैं हैं कि कोरोना की दूसरी लहर ने ना केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों पर भी हमला बोल दिया है।  सबसे चिंताजनक बात यह है कि एक से 30 साल तक की आयु वाले बच्चों और नौजवानों में सम्मिलित संक्रमण दर लगभग 30 प्रतिशत हो गई है। 

चौथे केंद्र सरकार के गृह विभाग के ताजा गाइड लाइन के हिसाब से अब राज्य सरकारों को कन्टेनमेंट ज़ोन बनाकर कोरोना से मुकाबले की तैयारी करनी चाहिए।  यानि पूरे प्रदेश में छोटे बड़े निषेध ज़ोन बनाकर बिना कर्फ्यू लगाए भी कर्फ्यू जैसे ही सख्ती कर दी जाए। 

पांचवीं और अंतिम किन्तु CM गहलोत के दिल की टीस - राजस्थान सबसे संक्रमित पहले 10 राज्यों में शुमार है।  प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली सभी VC में इन्हीं 10 रक्यों के बारे में सबसे ज्यादा बात की।  गहलोत की इच्छा है कि जल्द से जल्द राज्य इस सूची से बाहर हो। 

तो उपरोक्त पांचों बिंदुओं का निचोड़ - तैयार हो जाइये और 15 दिन की सख्ती के लिए और इस बार तो शायद शादी - समारोह के लिए भी कोई छूट ना मिले।  

राजनेताओं के अलावा बहुत हद तक आम लोगों की लापरवाही ही संक्रमण के इस स्तर पर पहुँचाने का असली कारण है सो आइये मिलकर अपना किया गलत बा सही करें।  घर में रहें, मसल लगा कर रहे, संयमित खाएं और जीएं।  टीका उपलब्ध होने पर टीका लगवाएं।  ऑक्सीजन 94 से नीचे होने पर ही अस्पताल जाएँ अन्यथा वीडियो पर डॉक्टर से सलाह लेकर घर में आईसोलेट हो जाएँ।  यकीन मानिये 15 दिन का सख्त अनुशासन वाकई कोरोना की चेन को तोड़ देगा। अब अपने घर के लोगों और दीवारों से खुलकर बात कीजिये. सभी को कुछ ना कुछ कहना है।