"एक मई से 18 साल से बड़ों को भी कोरोना के टीके लगेंगे" । 


यह घोषणा करने से पहले क्या मोदी जी ने यह तैयारी की कि सभी राज्यों में टीके आवश्यक मात्रा में उपलब्ध हों ? राज्य सरकारों को टीके ख़रीदने का अधिकार देने से पहले टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी किसकी थी ?? जहाँ तक टीकों की कीमतों में अंतर का प्रश्न है तो अब तो यह प्रश्न वो  सुप्रीम-कोर्ट भी पूछ रहा है , जिसने अपनी सारी मर्यादा और साख मोदी जी की सरकार का पिछलग्गू बनने के चक्कर में नष्ट कर ली है ।


ये है देश के महान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समझ , उनकी दृष्टि , उनका विज़न और उनकी प्रशासनिक क्षमता ! 

 

अच्छे में तो सब अच्छा लगता ही है । बुरे समय में ही आदमी की पहचान होती है । असली चेहरे और मुखौटे का अंतर भी तब ही समझ आता है जब विकराल संकट का दर्पण सामने हो । 


क्या कहते हो भक्तों ? कुछ बचा है कहने के लिये या अभी भी हिन्दू-मुस्लिम खेल कर ही ख़ुश हो ??


लानत है , तुम सब पर लानत है । 



©️✍️ लोकेश कुमार सिंह 

(लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के अपने हैं। Rajkaj.News की इन विचारों से सहमति अनिवार्य नहीं है। किंतु हम अभिव्यक्ति की स्वंत्रता का आदर करते हैं।)