जयपुर से मनीष दाधीच की खबर 

राजस्थान दिवस हत्या और अन्य  गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों के लिए राहत लेकर आया। राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश की जेलों से 1349 कैदियों को समय से पहले रिहा किया गया। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 27 मार्च को जेल महकमें की समीक्षा के दौरान राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश की जेलों में बंद सदाचरण वाले कैदियों को छोड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद 28 मार्च को गृह विभाग ने रिहा किए जाने वाले कैदियों की श्रेणी निर्धारित करते हुए आदेश जारी किए। गृह विभाग की ओर से तय किए गए मापदंडों पर खरे उतरे 1349 कैदियों को मंगलवार को रिहाई दी गई। 

जयपुर मंडल की जेलों से 516 कैदियों को रिहा किया गया, वहीं जयपुर सेंट्रल जेल से एक महिला और 38 पुरुष कैदियों को रिहा किया गया। इनमें ज्यादातर स्थाई पैराेल पर चल रहे थे। इसके अलावा 70 वर्ष के पुरुष बंदी और 65 साल की महिला बंदी को भी रिहा किया गया। अब रिहाई के बाद इन कैदियों के वारंट वापस कोर्ट को लौटा दिए जाएंगे। अर्थात अब कैदियों पर सजा की तलवार हट गई है। 

प्रतिबंधित धाराओं के बंदियों को सबक -

प्रदेश की जेलों में बलात्कार, पॉक्सो, मादक पदार्थ, रिश्वत, नकली नोट, आर्म्स एक्ट, तेजाब हमले, मोब लिंचिंग सहित 28 मामलों अपराधी हैं, उन्हें रिहा नहीं किया गया। भले ही इन कैदियों ने दी गई सजा की दो तिहाई सजा पूरी कर ली हो। ऐसे में इन अपराधों में लिप्त कैदियों के लिए सबक की बात है कि हत्या जैसे मामले में छूट सकते हैं, लेकिन इन अपराधों की सजा माफ नहीं हो सकती। 

बैंडबाजे के साथ दी विदाई - 

जयपुर में कैदियों को रिहाई पर बैंड बाजे के साथ समारोह पूर्वक विदाई दी गई। मौके पर देखने से यह पता नहीं चल रहा था कि यह कैदियों की रिहाई हो रही है, बल्कि ऐसा लग रहा था कि कोई बारात निकल रही है। सच में कैदियों के लिए यह अवसर पर बारात से कम भी नहीं था, क्योंकि उन्हें अब बाकी जीवन सजा के रूप में नहीं बल्कि घर पर अपनों के बीच काटना है। जयपुर सेंट्रल जेल से कैदियों को बैंडबाजे के साथ महानिदेशालय ऑफिस लाया गया, जहां महानिदेशक जेल राजीव दासाेत ने बंदियों का स्वागत  किया। जेल के नवनिर्मित गेट का फीता भी एक कैदी से ही कटवाया गया।