जयपुर. प्रदेश में कृषि कानूनों को लेकर हो रही किसान पंचायतों के बीच विधानसभा उप चुनाव की सरगर्मियां भी परवान चढ़ने लगी है... कांग्रेस ने जहां पांचों विधानसभा क्षेत्र में अपनी सियासी ताकत दिखाना शुरू कर दिया है.. वहीं दूसरी ओर भाजपा में वसुंधरा की अचानक बढ़ी सक्रियता ने एक घड़े में जान फूंक दी है... 

पिछले दिनों सामने आए चिट्ठी प्रकरण में जहां दूसरे खेमे की धड़कन तेज कर दी, वहीं वसुंधरा समर्थकों को लगने लगा है कि मैडम अब एक बार फिर पावर में है..हाल ही में वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री मोदी की दिल्ली में हुई मुलाकात ने यह दर्शाया है कि अब अंदर खाने खिचड़ी पकना शुरू हो गई है.. बता दें कि पिछले दिनों निकाय चुनाव में भाजपा अपने गढ़ बचाने में भी नाकाम रही थी.. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसका सारा ठीकरा प्रदेश संगठन के सिर फोड़ा था... 

अब पार्टी में यह बात जोर पकड़ रही है कि बिना मैडम की सहायता के प्रदेश में सत्ता किसी भी सूरत में नहीं मिल सकती..दरअसल राजस्थान प्रदेश में वसुंधरा प्रभाव के चलते कांग्रेस स्पष्ट बहुमत पाने में नाकाम रही है.. एक जमाना था जब भैरों सिंह शेखावत जैसे कद्दावर नेता के सामने अशोक गहलोत ने 153 सीटों पर भारी बहुमत से जीत हासिल कर भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया था.. 

लेकिन उसके बाद वसुंधरा मैडम की प्रदेश में हुई एंट्री ने कांग्रेस को कभी भी स्पष्ट बहुमत तक नहीं पहुंचने दिया.. लंबे समय की निष्क्रियता के बाद मैडम वसुंधरा का सक्रिय होना कांग्रेस में भी खासी हलचल मचा रहा है.. अब देखना यह है कि उपचुनाव तक यह सरगर्मियां क्या रंग दिखाती है?